इस पथ का उद्देश्य नहीं है, शान्त भवन में टिके रहना। किन्तु पहुँचाना उस मंज़िल पे, जिसके आगे राह नहीं॥
जिस प्रकार शिक्षा प्राप्त करना हर बालक का अधिकार है, ठीक उसी प्रकार जैन कुल में जन्मे हर बालक का जैनत्व के संस्कार प्राप्त करना, सामान्य सदाचार सीखना मौलिक अधिकार है और माता-पिता तथा बड़े जनों का वह शिक्षा उन्हें प्रदान करना कर्त्तव्य है। इसी अधिकार तथा कर्त्तव्य का संगम करके जिनशासन का ध्वज लहराने का जैनएक्स्ट द्वारा यह छोटा सा प्रयास किया गया है।
जैनएक्स्ट कोई संस्था ना होकर एक ऐसा संगठन है जो भौतिकता के इस दौर में धर्म से विमुख होती युवा पीढ़ी को पुनः धर्म के मार्ग पर लाने तथा बालकों में पाठशालाओं द्वारा संस्कार के बीजारोपण करने के लिये प्रयासरत है। जिसमें युवाओं द्वारा ही युवाओं की शिक्षा व मार्गदर्शन का प्रयास किया जा रहा है। जिसमें साधन प्रयास के रूप में अन्य क्षेत्रों कि प्रतियोगिताओं तथा खेलों में आकर्षित होती हमारी युवा पीढ़ी को धर्म क्षेत्र में उनके हुनर को प्रगट करने के लिये एक प्लेटफार्म देने का प्रयास हमारे द्वारा किया जा रहा है, जिसमें विभिन्न प्रतियोगिताओं व सेमिनारों द्वारा बालकों व युवाओं को उनकी प्रतिभा को प्रगट करने का तथा धर्ममय होने का अवसर प्राप्त होगा